सांसद सूर्या ने लगाए गंभीर आरोप
सांसद सूर्या ने यह भी आरोप लगाया कि ऐसा करके मोदी सरकार के वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 के जरिये होने वाले सुधार में अड़ंगा लगाने की कोशिश की जा रही है। इस पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की भी अवहेलना हो रही है। जिसमें किसान किनारे हो जाएंगे और राजस्व लेखों में उनकी जमीन वक्फ बोर्ड के नाम पर दर्ज हो जाएगी।
भारत संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा
भारत संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा न कि शरिया या जमीर अहमद खान जैसे मंत्रियों के निर्देशों से। सूर्या ने इसे लेकर कांग्रेस पर भी निशाना साधा और कहा कि 1955 के वक्फ कानून और फिर 2013 में हुए संशोधन से वक्फ बोर्ड को एक तरह से असीमित शक्तियां मिल गई हैं। वो किसी भी जमीन के वक्फ संपत्ति होने का दावा कर सकते हैं। ऐसे कानून बना कर कांग्रेस ने पूरे देश के नागरिकों के धोखा दिया है।
क्या है वक्फ एक्ट 1954
वर्ष 1954 में जवाहर लाल नेहरू की सरकार के समय वक्फ एक्ट, 1954 पास किया गया, जिसका मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना और जरूरी प्रविधान करना था। इस एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे से लेकर रख-रखाव तक को लेकर प्रविधान हैं।
1965 में हुआ संशोधन
एक्ट में दिए गए प्रविधानों के मुताबिक वर्ष 1964 में अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन केंद्रीय वक्फ परिषद का गठन हुआ। यह वक्फ बोर्डों के कामकाज के मामलों में केंद्र सरकार को सलाह देती है। वर्ष 1995 में वक्फ एक्ट में बदलाव भी किया गया और हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई।
वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति
वक्फ बोर्ड जमीन के मामले में रेलवे और कैथोलिक चर्च के बाद तीसरे स्थान पर है। आंकड़ों के मुताबिक वक्फ बोर्ड के पास आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। वर्ष 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ हुआ करती थी, जो कुछ वर्षों में बढ़कर दोगुनी हो गई है। इन जमीनों में ज्यादातर मस्जिद, मदरसा, और कब्रगाह हैं। दिसंबर 2022 तक वक्फ बोर्ड के पास कुल 8,65,644 अचल संपत्तियां थीं।
अंग्रेजों ने वक्फ को क्यों बताया था अवैध
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर विवाद नया नहीं हैं। अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान वक्फ की संपत्ति पर कब्जे को लेकर विवाद इतना बढ़ा कि यह लंदन स्थित प्रिवी काउंसिल तक पहुंचा। इसके बाद ब्रिटेन में चार जजों की बेंच बैठी और वक्फ को अवैध करार दे दिया। हालांकि इस फैसले को ब्रिटिश भारत की सरकार ने नहीं माना था।
